श्री यंत्र नाम से ही प्रकट होता है की यह श्री यंत्र अर्थात लक्ष्मी जी का यंत्र है जो लक्ष्मी जी को सर्वाधिक प्रिय है लक्ष्मी स्वयं रहती है कि श्री यंत्र हमारा आधार है श्री यंत्र में हमारी आत्मा निवास करती है श्री यंत्र सभी यंत्रों में श्रेष्ठ माना गया श्री यंत्र के प्रभाव से दरिद्रता पास नहीं आती है श्री यंत्र दूसरों को इतना प्रिय है की श्री यंत्र की उत्पत्ति जानने के पश्चात ही समझ पाएंगे
एक पौराणिक कथा के अनुसार मां लक्ष्मी जी कृद्ध होकर के बैकुंठ धाम चली गई इससे पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार की समस्याएं प्रकट हो गई समस्त मानव समाज ब्राह्मण वैश्य व्यापारी सेवाकर्मी आदि सभी लक्ष्मी के अभाव में दीन हीन होकर इधर-उधर घूमने लगे तब ब्राह्मण में जो श्रेष्ठ वशिष्ठ जी ने यह निश्चय किया कि मैं लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने हेतु इस पृथ्वी पर लाने का प्रयास करूंगा
वशिष्ठ जी तत्काल बैकुंठधम जाकर मिले उन्हें जानकारी हुई की ममता मई मां लक्ष्मी जी आप्रसन्न है और वह किसी भी स्थिति में पृथ्वी पर आने को तैयार नहीं है तब वशिष्ठ जी ने वही बैठकर आदि आनंद और अनंत भगवान श्री विष्णु जी की आराधना करने लगे जब श्री विष्णु प्रसन्न होकर प्रकट हुए तब वशिष्ठ जी ने प्रार्थना की और बोले प्रभु श्री लक्ष्मी के अभाव में हम सब पृथ्वी वासी पीड़ित है आश्रम उजड़ गए हैं जनता जनार्दन दुखी है पूरा व्यापार तहस-नहस हो गया है सभी के चेहरे मुरझा गए है आशा निराशा में बदल गई है तथा लक्ष्मी के प्रति लोगो उत्साह और उमंग समाप्त हो गई है अब कैसे भी लक्ष्मी जी को मनाए और पृथ्वी निवासियों का उद्धार करें प्रार्थना सुनकर विष्णु जी ने वशिष्ठ जी को लेकर लक्ष्मी जी के पास लेकर गए और मानने लगे परंतु किसी भी प्रकार से लक्ष्मी जी को मनाने मैं सफल नहीं हो सके और रूठी हुई आ प्रसन्न लक्ष्मी जी ने दृढ़तापूर्वक कहा कि मैं किसी भी स्थिति में पृथ्वी पर जाने को तैयार नहीं हूं उदास मन और खिन्न अवस्था में वशिष्ठ जी ने पुनः पृथ्वी लोक लौट आए और मां लक्ष्मी के निर्णय से सभी को अवगत कराया सभी दुखी थे देवगुरु बृहस्पति जी ने कहा कि अब तो मात्र एक ही उपाय है वह है श्री यंत्र की स्थापन यदि श्री यंत्र को प्राण प्रतिष्ठा करके पूजा की जाय तू लक्ष्मी को अवश्य ही आना होगा
देवगुरु बृहस्पति की बात से ऋषि एवं महर्षियों में आनंद व्याप्त हो गया और उन्होंने देवगुरु के निर्देशन में श्री यंत्र का निर्माण किय और उसे मंत्र सिद्ध तथा प्राण प्रतिष्ठा करके दीपावली से 2 दिन पूर्व अर्थात धनतेरस को स्थापित करके पूजन किया पूजा समाप्त होते ही लक्ष्मी जी वहां उपस्थित हो गई और कहा कि मैं किसी भी स्थिति में यहां आने को तैयार नहीं थी परंतु आपने जो श्री यंत्र का प्रयोग किया इस कारण मुझे आना पड़ा श्री यंत्र ही तो मेरा आधार है इसमें मेरी आत्मा निवास करती है
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