top of page
Search
deepak9451360382

#Navratri#navdurga#Durga#Mahamrityunjay Mantra Jaap#bagalamukhi Mantra Jaap#astro#vastushastra#vast

Updated: Dec 25, 2023

नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र व्रत की शुरूआत प्रतिपदा तिथि को कलश

स्थापना से की जाती है। नवरात्र के नौ दिन प्रात:, मध्याह्न और संध्या के समय भगवती दुर्गा की पूजा करनी चाहिए।

नवरात्र में हवन और कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए।श्रद्धानुसार अष्टमी या नवमी के दिन हवन और कुमारी

पूजा कर भगवती को प्रसन्न करना चाहिए। नवरात्र पर्व के दौरान कन्या पूजन का बड़ा महत्व है। नौ

कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है।

भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्‍य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पुनः पैर छूकर

आशीष लें। कन्याओं की आयु दो वर्ष से ऊपर तथा 10 वर्ष तक होनी चाहिए और इनकी संख्या कम से

कम 9 तो होनी ही चाहिए और एक बालक भी होना चाहिए जिसे हनुमानजी का रूप माना जाता है।

जिस प्रकार मां की पूजा भैरव के बिना पूर्ण नहीं होती , उसी तरह कन्या-पूजन के समय एक बालक को

भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है. यदि 9 से ज्यादा कन्या भोज पर आ रही है तो कोई आपत्ति नहीं

है।

अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं। नवरात्र

में सभी तिथियों को एक-एक और अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं की पूजा होती है। नवरात्रि के

दौरान तामसिक भोजन नहीं करें। यानि इन 9 दिनों में लहसुन, प्याज, मांसाहार, ठंडा और झूठा भोजन

नहीं करना चाहिए। इन दिनों में क्षौरकर्म न करें। यानि बाल और नाखून न कटवाएं और शेव भी न

बनावाएं। इनके साथ ही तेल मालिश भी न करें। नवरात्रि के दौरान दिन में नहीं सोएं। नवरात्रि में

सूर्योदय से पहले उठें और नहा लें। शांत रहने की कोशिश करें।

वैसे तो कई लोग सप्‍तमी से कन्‍या पूजन शुरू कर देते हैं लेकिन जो लोग पूरे नौ दिन का व्रत करते

हैं। वह तिथि के अनुसार नवमी और दशमी को कन्‍या पूजन करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करके व्रत

खोलते हैं। शास्‍त्रों के अनुसार कन्‍या पूजन के लिए दुर्गाष्‍टमी के दिन को सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण

और शुभ माना गया है। कन्‍या भोज और पूजन के लिए कन्‍याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित कर

दिया जाता है। मुख्य कन्या पूजन के दिन इधर-उधर से कन्याओं को पकड़ के लाना सही नहीं होता है।

गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों

के जयकारे लगाएं। अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध

से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना

चाहिए। उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए। फिर मां भगवती का ध्यान करके

इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं।

1 view0 comments

Recent Posts

See All

#श्री यंत्र#श्री यंत्र#श्री यंत्र#यंत्र#yantra#yantra

श्री यंत्र नाम से ही प्रकट होता है की यह श्री यंत्र अर्थात लक्ष्मी जी का यंत्र है जो लक्ष्मी जी को सर्वाधिक प्रिय है लक्ष्मी स्वयं रहती...

#श्री यंत्र

श्री यंत्र नाम से ही प्रकट होता है की यह श्री यंत्र अर्थात लक्ष्मी जी का यंत्र है जो लक्ष्मी जी को सर्वाधिक प्रिय है लक्ष्मी स्वयं रहती...

#लक्ष्मी गणेश की मूर्ति कैसे खरीदें#Lakshmi Ganesh #दिवाली#diwali#dipawali#dipavali#divali#vastu#vastushastra#vastu kanpur#vastu Lucknow#vastutips#astrologer#astro#muhurt Diwali#divali puja muhurat

लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदते समय रखें इन बातों का ध्यान दिवाली में लक्ष्मी पूजन के लिए दो दिन पहले धनतेरस तिथि को भगवान गणेश और माता...

Comentarios


Post: Blog2_Post
bottom of page